Popular Posts

Thursday, January 27, 2022

कागज़, कलम और शिक्षक

कागज़, कलम और शिक्षक

चिराग जैसे जल रहे निरन्तर देने को तुम्हें प्रकाश
घटे अंधेरा बढ़े उजाला यह हर शिक्षक का प्रयास।।

जो नहीं साक्षर, वो बने साक्षर, है ऐसा अरमान
नही रहे निरक्षर कोई बचपन, छेड़ो यह अभियान।।

बिन कलम के बच्चा कोइ जैसे बलहीन बलवान
ज्ञान मिले तो बन सकता है, शमशीर कोई महान।।

कलम निरीह होती है, गर न हो शब्दों की ताकत
तोपों की बिसात नहीं, बदलें अखबार सियासत ।।
                © जितेन्द्र नाथ





No comments:

Post a Comment

The Railway Men: Poetry of Pain

द रेलवे मैन :  सत्य घटनाओं पर आधारित दारुण कथा ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● भारत में वेब सीरीज की जमीन गाली गलौज की दुनिया से आगे बढ़ कर अपने ल...