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Wednesday, January 26, 2022

सफर में हूँ

सफ़र: एक नज़्म
सदियों से ठहरा हूँ पर मैं सफर में हूँ
दरिया हूँ, रुक कर भी मैं सफर में हूँ।।

शोखियाँ तितलियों की अदाओं में हैं
मैं इश्क ठहरा, उस काले से भ्रमर में हूँ।।

ख़बरों से गायब मुझे कर दिया लेकिन
उनका क्या करोगे मैं जिनकी नजर में हूँ।।

 मुझे ढूँढते हुए हवाओं ने खाक उड़ा दी
गुमशुदा होकर भी अभी मैं खबर में हूँ ।।

ख्वाहिशें बेलगाम हैं हवस की कमी नहीं
सब्र ने कहा मैं गरीबों के गुजर-बसर में हूँ।।

इकाई दहाई सैकड़ा सब बेकार हो गए
दौलत ने कहा मैं तो आखिरी सिफर में हूँ।।

साँसों की टूटी डोर तो सब उसे ढूँढने लगे
ऑक्सीजन ने कहा मैं तो हरे शजर में हूँ।।

ममता से पूछा मैंने तेरा ठिकाना क्या हुआ
बोली, माँ के अश्क में, बाप की फिक्र में हूँ।।

ईमान इस जहान में कहीं अब भी मिलेगा क्या
बोला, अभी मैं 'जितेन' नाम के पागल बशर में हूँ।।
            *© जितेन्द्र नाथ*
जितेन्द्र नाथ 


Monday, January 17, 2022

शिद्दत

 शिद्दत: एक नज़्म


मैं इस मोड़ से उस मोड़ तक भागता ही रहा

मेरी आंखों में नींद थी मगर जागता ही रहा


ख्वाब किसी परछाईं की तरह आते जाते रहे

मैं उनकी ताबीर के लिए बस भागता ही रहा


कुछ मंजिलें आई राह में, कुछ दूर चली गई

मैं उन तक जाती सड़कों को नापता ही रहा


जो भी मिला उससे मैं दिल खोलकर मिला

मगर दिल में उसके क्या था मैं भांपता ही रहा


मेरे अपने हरपल मुझे मेरी जगह दिखाते रहे 

मैं उन रिश्तों को खामोशी से ढापता ही रहा


लादे फिरता था जो बच्चों को अपनी पीठ पर

बुढ़ापे में वो शख्स अकेला खांसता ही रहा


उसके खेतों में उगी कपास से थान बन गए

मगर उस बदनसीब का बदन कांपता ही रहा

                   ©जितेन्द्र नाथ




Sunday, October 31, 2021

दृष्टि

दृष्टि : एक नज़्म

मैं गिलास, कभी खाली कभी भरा, देखता हूँ

आदत है, झूठ के नीचे दबा सच देखता हूँ।।


जिसकी आँखों में सब डूबने की बात करते हैं

मैं उसके आँसुओ में दबी कसक देखता हूँ।।


उसकी बेबसी को तुम कभी हार मत समझना

मैं उसकी आँखों में जीत की चमक देखता हूँ।।


जो बुरा वक्त चला गया उसे तुम भूलना नहीं

मैं खुशी के बाद आती उसकी धमक देखता हूँ।।


जो मिल गया मुझे, क्या यही मेरी मंजिल है

मैं यहाँ से जाती हुई लम्बी सड़क देखता हूँ।।


ये लोग न जाने क्यों उसकी हंसी के कायल है

मैं जब देखता हूँ, उन आँखों में हवस देखता हूँ।।

© जितेन्द्र नाथ







The Railway Men: Poetry of Pain

द रेलवे मैन :  सत्य घटनाओं पर आधारित दारुण कथा ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● भारत में वेब सीरीज की जमीन गाली गलौज की दुनिया से आगे बढ़ कर अपने ल...