माँ - एक कविता
(अमर शहीद विक्रम बत्रा को समर्पित)
तीन रंग की चूनर लेकर मुझको आज सुला दे माँ,
जो करना था, कर आया अब मेरी थकान मिटा दे माँ।।
जब तक सूरज चंदा चमके, दमके हिंदुस्तान मेरा,
बारम्बार करूँ तन ये अर्पण, ऐसा वरदान दिला दे माँ।।
मेरे प्राण न इस तन से निकले जब तक बैरी जिंदा हो,
सिर काट करूँ तुझ को अर्पण, इतने साँस दिला दे माँ।।
तेरी इस धानी चुनर पर मैं कोई आँच नहीं आने दूँगा,
करूँ भस्म हर दुश्मन को, तन ऐसी अगन जला दे माँ।।
जितना दूध दिया था तूने, लहू उतना बहा कर आया हूँ,
हर जन्म मिले कोख तेरी, माँ भारती का हो आँचल माँ।।
हर जन्म मिले कोख तेरी, इस धरती का आँचल हो माँ।।
तीन रंग की चूनर लेकर मुझको आज सुला दे माँ
जो करना था, कर आया अब मेरी थकान मिटा दे माँ।।
©जितेन्द्रनाथ